दरिया का किनारा हूं,
दरिया का किनारा हूं,
निगहवां मंजर का,
डूबते वही हैं जो सम्मान नहीं करते।
मजधार बताता हूं
मर्यादा नदी की भी,
है पार वही करते, जो अपमान नहीं करते।।
दरिया का किनारा हूं,
निगहवां मंजर का,
डूबते वही हैं जो सम्मान नहीं करते।
मजधार बताता हूं
मर्यादा नदी की भी,
है पार वही करते, जो अपमान नहीं करते।।