दरिंदगी और समाज
बदनाम करते जमाने को गलती अपनी छुपाते हैं,
गंदी करते नियत को पर इल्ज़ाम कपड़ों पर लगाते
लाल हमारा सही है,इशारे उसके ही गलत होंगे,
नजर में उनकी दो साल की बच्ची ने भी नखरे कई
दिखाए होंगे,
नकाब में रहना सीखो तुम यह सीख सिखलाई जाती
कपड़े पहने तुमने गलत और लड़कों से गलतियां
होती हैं,
छोटी बच्ची पर नजर तुम्हारी गंदी यूं ही नहीं पड़ती
हैं
,
छोटी स्कर्ट पहनकर गंदे इशारे से वो ही तुम्हे बुलाती
लड़को से दोस्ती करने पर बदचलनी में शामिल होती
गलती लड़को की नहीं लड़की ने ही छूट दी होती हैं,
प्यार जिस्म से नहीं रूह से है उसकी यह सबको
बतलाते हैं,
जिस्म से खेलकर शहर के रांझे मोहब्बत को बदनाम
करते हैं,
लड़की को देखकर इरादे बदलकर करीब उसके जाते
है
गर्म खून को ठंडा कर उसको जला कर मारते हैं,
काला दिल तुम लोगों का बदनाम अंधेरे को करते हैं,
नारी शक्ति का तमाशा कर सुनसान राहों को बदनाम
करते हैं,
पर अपनी बहन की रखवाली का हवाला शान से देते
जब होता गलत लड़की के साथ तो न्याय का हवाला
देते हैं,
प्रक्रिया के नाम पर कई रियायतें मुफ्त में उनको देते
फांसी रुके बस इसलिए कई गुनाह बक्ष दिए जाते हैं,
सिर्फ इनके लिए ही मानवाधिकार बताने लोग सामने
आते हैं,
इज्जत जिसकी बदनाम हुई गलती उसकी अनेक
बताते हैं,
मुजरिम मुजरिम नहीं यह अनेक तरीको से साबित
करते जाते हैं,
आधी आबादी के लिए सुरक्षित नहीं समाज यह नारा
बेखौफ लगाते हैं,
लडको को सभ्य बनाते नहीं पर लड़कियों को
आत्मनिर्भर बनाने की चाह रखते है।