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12 Oct 2021 · 1 min read

दरारों का दोष

विवादित हुआ यह घर आंगन,
जहांँ परिवारों का बसेरा था,
ढल चुकी है अब उम्र उसकी,
जिनसे होता वो सवेरा था ।

बिकने को खड़ा है मकान ,
खाली वर्षों से है पड़ा हुआ ,
जर्जर तन लेकर चले गए ,
दरार मकान में अब पड़े हुए ।

कितनी शिद्दत से एक-एक ईट रखी ,
सब बच्चों संग नींव है बनी ,
तरस रहा है उन रहने वालों को ,
जिनके लिए भवन निर्माण की रीत बनी ।

बंँटवारा अब कर रहे हैं ऐसे ,
एक कोख से हुआ न हो जन्म जैसे ,
गिराने को अब झगड़ रहे हैं ,
दरारों का दोष सब पकड़ रहे हैं ।

# बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर ।

Language: Hindi
5 Likes · 243 Views
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