दया करो हे मात भवानी ,हमने करी बहुत सी नादानी
दया करो हे मात भवानी,हमने कितनी नादानी
सबको माफ़ कर देती हो सबकी झोली भर देती हो
दुर्गा दुर्गति नाशिनी माता , भक्तों के तुम कष्ट हरो
करो दया हे मातु भवानी , दुर्गति जन की दूर करो
शुम्भ निशुम्भ विनाशिनी माता , भक्तों पर तुम कृपा करो
करो क्षमा अपराध हमारे , दया दृष्टि तुम हम पे धरो
विन्ध्याचल में विंध्यवासिनी , मैहर में माँ शारदा तुम
कलकत्ता में माई कालका , जम्मू में माँ वैष्णो तुम
प्रयागराज में अलोपशंकरी , ललिता रूप धरे हो तुम
मुम्बई में तुम मुम्बा देवी , हिंगलाज में विराजो तुम
नवरूपों में तुम्हें पूजते , भक्त तुम्हारे धरते ध्यान |
तन मन कसते , साधना करते , करने को अपना कल्याण
प्रथम रूप शैलपुत्री तुम्हारा, दूजे में ब्रह्मचारिणी हो
तृतीय रूप में मां चंद्रघंटा, चतुर्थ में कुष्मांडा हो
पंचम रूप स्कंदमाता तुम्हारा , षष्ठम में कात्यायनी तुम
सप्तम रूप में माँ कालरात्रि , अष्टम में महागौरी तुम
नवम रूप में बन सिद्धिदात्री , भक्तों को देती वरदान |
साधना करतीं सफल सुजन की , देती सिद्धि का तुम दान
तुम्ही सरवस्ती , तुम ही लक्ष्मी , तुम ही माँ महाकाली हो |
जिस रूप जो तुम्हें ध्याता , इच्छित फल देने वाली हो
तुम ही तारा , तुम ही दुर्गा , तुम ही माँ छिन्नमस्ता हो
अगणित रूप नाम तुम्हारे माता , दुखों की तुम हर्ता हो
नाम रूप की गिनती तुम्हारे , क्या कोई कर पायेगा |
जिस पर हो जाए कृपा तुम्हारी , जान तुम्हे वह पायेगा
दुर्गा दुर्गति नाशिनी माता ,जन दुर्गति की दूर करो |
दया सदा रखो भक्तों पर , दुर्मति जन की आन हरो
दुखियों के दुःखहरिणी माता , सद्बुद्धि को अब दो वरदान
शरणागत को शरण में लेकर , कष्ट हरो जगजननी आन
दुर्गा दुर्गतिनाशिनी माता , दुर्ग विनाशिनी तुम्हें प्रणाम|
मेरे कष्ट हरो महामाया , तुमको ध्याऊं आठों याम