दफ्तर यहां
पल रहे अस्तीनों में विषधर यहां।
अपनों को ही निकलते अजगर यहां।।
क्या तमाशा देखिए इनका तमाशा।
लड़ते हैं आपस में बाजीगर यहां।।
दोस्तों किसको सुनाये राज ए दिल।
दिलों में ही खुल गये दफ्तर यहां।।
क्यों अदब किसका अदब कैसा अदब।
पैदा होते ही निकलते पर यहां।।
हाल बीवी बच्चों का मुझसे न पूछो।
दिन ढले ही पहुंचते हैं घर यहां।।
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