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11 Dec 2021 · 1 min read

दगा

मनहरण घनाक्षरी
दगा

मूरत लुभानी देखो,
सूरत सलोनी देखो,
प्रीतम के पीठ पीछे,
करती छलावा है।

बाहु पाश में झूमे ,
दोनों के साथ घूमें,
नहीं प्रीत ह्रदय में,
करती दिखावा है।

जग की न लाज आई,
खिली -खिली मुस्काई,
बंधनों को तोड़कर,
कैसा बहकावा है ।

सूनी -सूनी राह चल ,
दूसरों से घुल मिल,
प्रीत के अभिनय से ,
आय को बुलावा है ‌।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)

Language: Hindi
386 Views
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