सागर की ओर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
* गीत प्यारा गुनगुनायें *
चिराग को जला रोशनी में, हँसते हैं लोग यहाँ पर।
दुख है दर्द भी है मगर मरहम नहीं है
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
चलो चलें दूर गगन की ओर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
"बन्दगी" हिंदी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*खुलकर ताली से करें, प्रोत्साहित सौ बार (कुंडलिया)*
भाव जिसमें मेरे वो ग़ज़ल आप हैं
शिक्षा और संस्कार जीवंत जीवन के
मेरा प्यार तुझको अपनाना पड़ेगा
बुझा दीपक जलाया जा रहा है
💐प्रेम कौतुक-283💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)