दगा दे गये बेसहारा किया है
दगा दे गये बेसहारा किया है।
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कहो आपने क्यों किनारा किया है।
दगा दे दिया बेसहारा किया है।
मुझको पता यार चाहे क्या मुझसे-
दगाबाज ने इक इशारा किया है।
उसे हमने माना अपना खुदाया-
मगर बिन हमारे गुजारा किया है।
दगा दे गये पर भुला ही न पाये-
दिल ये हमारा तुम्हारा किया है।
मिलो यार मुझसे गले से लगालो-
न फिर तुम यूँ कहना शरारा किया है।
भलेहिं मिली बेवफाई ही तुमसे।
वफ़ा का इरादा दुबारा किया है।
फसी जां आफत जरा आ के देखो-
सचिन यार तुमने अवारा किया है।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार..८४५४५५