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11 Jun 2019 · 1 min read

दगाबाज

122 122 122 12
दगाबाज होती ये किस्मत नही
अक्सर (देखा) ख्वाब होता हकीकत नही
नियत जब नही साफ है तेरी तो
चाहने मात्र से होती बरकत नही
नजरे मिल जाने से ही प्यार हो
सरल इतनी भी यारो मुहोबत नही
वो भी था समय सारे जब मिलजुल रहे
मिलो आज किसी को फुर्सत नही
दंगे खूब वासना के चक्र मे होते
जो देख बदन होती वो चाहत नही

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