दग़ा भी उसने
दग़ा भी उसने
इतनी मासूमियत से की
उनके इश्क़ के नश्तर
की धार का एहसास
ज़ेहन पे पड़े दाग़
से होता है
. . . . . . . अतुल “कृष्ण”
दग़ा भी उसने
इतनी मासूमियत से की
उनके इश्क़ के नश्तर
की धार का एहसास
ज़ेहन पे पड़े दाग़
से होता है
. . . . . . . अतुल “कृष्ण”