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13 Jan 2021 · 2 min read

दंगे

क्या हुआ क्या नहीं
वो जनता तो अनजानी थी ।
किसी ने जो भी कह दिया
बस वो ही बात मानी थी ।।

बस एक छोटी सी चिंगारी थी
जो यूं ही कहीं से उठी थी ।
कुछ लोगों ने उसमे घास डाला
कुछ ने उसको थोड़ी फूंक मारी थी ।।

भाईचारे को तोड़ने की कोशिश हो रही थी
जो कोशिश अंत में रंग लाई ।
जो समुदाय मिलकर प्यार से रहते थे
उनके बीच भी बन गई गहरी खाई ।।

ऐसे ही कुछ लोग दूसरी तरफ भी थे
जो यही काम वहां पर कर रहे थे ।
अपनों की अपनों से दूरियां बढ़ा रहे थे
और बदला लेने के लिए उन्हें उकसा रहे थे ।।

अब तो उन्हें सिर्फ बदला चाहिए
जो वो लेगा अपने पड़ोसियों पर
पत्थर फेंक कर, उनको को मार कर
और उनके घरों को जला कर ।।

अब उन्हें नहीं याद महंगाई
अब तो उन्हें कोई समस्या नहीं ।
अब उनको बूढ़े मां बाप के
स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं ।।

क्या हो जाता है इंसान को जो
अब उसे अपनी मां बेटी की
सुरक्षा की भी चिंता नहीं ।
और अब उसे अपने बच्चों के
भविष्य की भी कोई चिंता नहीं ।।

पत्थर मारेगा दूसरों पर तो,
कोई पत्थर तेरे सिर पर भी मार सकता है।
अगर किसी का घर जलाएगा
तो कोई तेरा घर भी जला सकता है ।।

कोई तो उसे समझाये कि
लड़ाई का कोई अंत नहीं होता
हिंसा से किसी की जीत नहीं होती ।
दो पल की है ये जिंदगी
प्यार से जीता जा सकता है सबको
किसी को हराकर जीत नहीं होती।।

Language: Hindi
7 Likes · 9 Comments · 331 Views
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