Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2021 · 2 min read

दंगा –(एक)

(अरुण कुमार प्रसाद)
———————–
आज नफरत ने मुहब्बत से, सच ही नफरत कर लिया है।
आदमी ने आदमियत से अब सच ही किनारा कर लिया है।
आज सच शैतान आकर बस गया मेरे शहर में ढाँप के मुंह।
आज फिर शैतान के कहकहे का है,शोर, खोले साँप सा मुंह।
आज फिर इंसान खुद का काट कर सिर फिर रहा सारे शहर में।
पूछता सा-“लोगे तुम या लोगे तुम” बोली लगाता हर प्रहर में।
आज रंगों में न साहस है बचा कि कलेवर पर चढ़ा ले रंग अपना।
अब किसी भी फूल में वह स्निग्धता,सुगंध या; है बंद बहना।
आदमी भयभीत अति है आदमी से आज इस गाँव,बस्ती और शहर में।
ज्यों बुझा हो बोल,वाणी हर कहानी आदमी का तीव्रतम जहर में।
गीत सारे बंद हैं,संगीत सारे हैं बजाते धुन किसी श्मशान सा चुप।
रौशनी विचलित हुई सी भागती है ढूँढती कोई अंधेरा घुप्प।
बड़ी जीवंत थी गलियाँ अभी कल इस शहर की,हंस रही थी।
बड़ी आत्मीयता से कर नमस्ते दे दुआएं बस रही थी।
अट्टालिकाओं का शहर था कल, हुआ सा खंडहर का।
इस तरह अस्तित्व मिटता है रहा,नफ़रतों से हर शहर का।
यह युद्ध का ही सिलसिला है जब हाथ में पत्थर उठा लें।
धर्म जब मजहब बने हैं हाथ ने तब हाथ में पत्थर उठाए।
दौड़ता इंसान बन शैतान अपने देवता,रब माथ में ले।
कत्ल करने लोग आतुर अपनी आत्मा का,साथ में ले।
ये जो नंगे हो रहे हैं नोंच कर हर आदमियत।
प्रश्न इसकी राजनीति,आत्मनीति,नियति,नीयत।
नफ़रतों पर तुम्हारी है खड़ी देव-दर्शन,सृष्टि-दर्शन।
कत्ल का पैगाम लेकर यूं उठो न,लो करो कुछ आत्म-दर्शन।
————————————————————–

Language: Hindi
199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बाढ़
बाढ़
Dr.Pratibha Prakash
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
दोस्त जीवन में मिल ही जाते हैं।
लक्ष्मी सिंह
तेरा-मेरा साथ, जीवन भर का...
तेरा-मेरा साथ, जीवन भर का...
Sunil Suman
उगें हरे संवाद, वर्तमान परिदृश्य पर समग्र चिंतन करता दोहा संग्रह।
उगें हरे संवाद, वर्तमान परिदृश्य पर समग्र चिंतन करता दोहा संग्रह।
श्रीकृष्ण शुक्ल
जिंदगी हमें किस्तो में तोड़ कर खुद की तौहीन कर रही है
जिंदगी हमें किस्तो में तोड़ कर खुद की तौहीन कर रही है
शिव प्रताप लोधी
कुंडलियां
कुंडलियां
Suryakant Dwivedi
संसार है मतलब का
संसार है मतलब का
अरशद रसूल बदायूंनी
- हकीकत तो जान लेती -
- हकीकत तो जान लेती -
bharat gehlot
ग़ज़ल : पेट में दाना नहीं
ग़ज़ल : पेट में दाना नहीं
Nakul Kumar
देश भक्ति
देश भक्ति
Santosh kumar Miri
विषय-आज उम्मीदों का दीप जलाएं।
विषय-आज उम्मीदों का दीप जलाएं।
Priya princess panwar
भारत को निपुण बनाओ
भारत को निपुण बनाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रहब यदि  संग मे हमर , सफल हम शीघ्र भ जायब !
रहब यदि संग मे हमर , सफल हम शीघ्र भ जायब !
DrLakshman Jha Parimal
4181💐 *पूर्णिका* 💐
4181💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दोहा त्रयी. . . . चित्रकार
दोहा त्रयी. . . . चित्रकार
sushil sarna
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फूलों से हँसना सीखें🌹
फूलों से हँसना सीखें🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
शायरों के साथ ढल जाती ग़ज़ल।
शायरों के साथ ढल जाती ग़ज़ल।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रेयसी
प्रेयसी
Ashwini sharma
गणेश अराधना
गणेश अराधना
Davina Amar Thakral
मेरा भूत
मेरा भूत
हिमांशु Kulshrestha
*मारा लो रावण गया, रामचंद्र के हाथ (कुंडलिया)*
*मारा लो रावण गया, रामचंद्र के हाथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मैं फकीर ही सही हूं
मैं फकीर ही सही हूं
Umender kumar
राष्ट्रशांति
राष्ट्रशांति
Neeraj Agarwal
खाईला कसम हम
खाईला कसम हम
Er.Navaneet R Shandily
■ स्वयं पर संयम लाभप्रद।
■ स्वयं पर संयम लाभप्रद।
*प्रणय*
अच्छे
अच्छे
Santosh Shrivastava
Loading...