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26 Jan 2022 · 1 min read

थोड़ी दुआ कर दो।

कुछ दर्द ऐसे भी है जिनकी कोई दवा नहीं।
गर चाहते हो हमको तो थोड़ी दुआ कर दो।।1।।

हमको राहत मिल जाएगी अगर तुम चाहो।
गर हमको चाहते हो तो दिल से यह कह दो।।2।।

शोले पर गिरी शबनम पानी की बूंद बनके।
यूँ मिल गयी है राहत आग से देखो उस को।।3।।

यूँ तो हम पैदा ना हुए थे गरीब खानदान में।
हैदास मानोगे जो बता दूंगा अपने सच को।।4।।

धीरे-धीरे सिमटता गया पहचान का दायरा।
इस ग़रीबी का ज़िम्मेदार मानता हूं खुद को।।5।।

अब कैसे खरा उतरूँ तुम्हारी उम्मीद पर मैं।
दुआ के सिवा कुछ ना बचा है पास देने को।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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