थोड़ा सा थका हूँ मगर रुका नही हूँ
– थका हूँ मगर रुका नही हूँऐ ज़िन्दगी तेरी हालातों के आगे अभी झुका नही हूँ।कांच के रिश्ते लिए फिर रहा हूँ इन पत्थरों के शहर मेंठोकरें लग रही है मगर अभी तक टूटा नहीं हूँ।हम मिले थे शायद किसी रह गुज़र में कभी, गर याद हो तुझेयकी कर आज भी उस मुलाकात को भुला नहीं हूँ।यूं तो गम की बारिश रही मुझ पर मुसलसलपर ख़ुदा के सजदे में कभी भीगा नही हूँ।जितने थे तूफ़ान सब गुज़र गए मेरी लौ सेजाने किसकी दुआ है जो अभी तक बुझा नही हूँ।😇🌹✍️