थोड़ा सा आसमान
किसे तमन्ना थी, मिलें ख़ुशियाँ तमाम,
हमारे लिए तो काफ़ी है थोड़ा सा आसमान,
रहगुज़र-रहबसर हम इसी में कर लेंगे,
चाहिए बस चुटकी भर छाँव,
और छोटा सा ऊँचे टीले पर एक मकान,
जहाँ चमके धूप की किरणें,
बारिश की बौछार दे और थाम ले तूफ़ान,
फूल खिलें जहाँ ख़ुशियों के,
और बने इक मुकम्मल दास्तान,
भले ही संसार सारा न हो,
बस छोटा सा जग हमारा हो,
जहाँ रब हो न हो, पर ज़िंदा हो इंसान,
किसे तमन्ना मिले ख़ुशियाँ तमाम,
अपने लिए तो काफ़ी है थोड़ा सा आसमान