थोड़ा नमक छिड़का
थोड़ा सा नमक छिड़क लिया
थोड़ी सी मिर्च मिला ली
अरसे बाद दर्द पका ली
हल्के-हल्के आँच पे …
थोड़े वादे हमने निभाए
थोड़ी कसमें तुमने खाई
इश्क़ ऐसे जवां होता रहा
धड़कनों के साज़ पर।
इक उम्र हमने बिता दी
इक अरसा तूने खोया
वक्त गुजरता ही गया
यादों के हंसी ख्वाब पर।
फिर यूं हुआ ,बिछड़े हम
जुदाई में फिर निकला दम।
आंखें मेरी ढूंढती रही निशां
कदमों की इक ताल पर।
अब बाकी कुछ बचा है
बस इसी का स्वाद चखा है
पक रहा था जो दर्द
हल्के-हल्के आंच पर।
सुरिंदर कौर