थिरकन
थिरकने लगते हैं पांव, गिरे जब बूंद धरती पर।
पट पट पट पटर पटपट,उगे ज्यों धान भू परती पर।।
थिरकने लगते हैं पांव,मयूरी जब पुकारे पियु आओ।
तक धिन ताक धिन धिन धिन,मयूरा नाचे खोले पर।।
थिरकने लगते हैं पांव, हवाएं आतीं सन सन सनन।
कहें संदेशे बाबुल के,छोरी आ मायके भूल के अनबन।।
थिरकने लगते हैं पांव,किसी के दो मीठे बोलों पर।
मगन हो चातकी सी डोले,उठा कर आसमां में सर।।
थिरकने लगते हैं पांव ‘मीरा’ तन के बजते साजों पर ।
पिया के आते जब संदेश, छिपा के छत पे पढ़ने पर।।
मीरा परिहार