था इल्म नहीं हमको
ख़ता की लाखों कोई दिल न तोड़ा,
ज़िन्दगी ने कोई मौका न छोड़ा।
ख़ामोशी थी जब तिनके भी चुप बैठे थे,
हम तो वहीं के वहीं रहे ठहरे थे।
इशारे थे उसके कुछ खोने को है,
था इल्म नहीं हमको ये होने को है।।
ख़ता की लाखों कोई दिल न तोड़ा,
ज़िन्दगी ने कोई मौका न छोड़ा।
ख़ामोशी थी जब तिनके भी चुप बैठे थे,
हम तो वहीं के वहीं रहे ठहरे थे।
इशारे थे उसके कुछ खोने को है,
था इल्म नहीं हमको ये होने को है।।