थक गया हूँ
थक गया हूँ पर हारा नहीं हूँ मैं,
विपदा में मिट जाऊ राह छोड़ हट जाऊँ,
वह सहारा नहीं हूँ मैं,
थक गया हूँ पर हारा नहीं हूँ मैं ।
सराहता हूँ है मान मुझे इस पर,
पथिक राह की डगर,पग-पग मुश्किल सफर,
हर पग, द्वंद्व विजय कर तुम पहुचे उस तट तक,
पर हे श्रेष्ठ ! रुकना होगा थोड़ा इंतजार भी,
लंका दहन तभी होगा जब पहुचे विकराल रूप हनुमन्त ।।