*थकना बलवान होकर*
थकना ? बलवान होकर ,मुख से ना उबारिये ।
खोल द्वार बन्धनों के, ये निज जीवन संवारिये ।
एड़ियों में शक्ति जब तक बढ़ते चलो दर सीढियां
अर्जन ना होगा व्यर्थ प्यारे , सीख लेंगी पीढियां।।
नाविक हो तुम नाँव के ,पकड़ कर पतवारिये ।
थकना————————————————१
पूर्व पड़ने के शिथिल , पडा नहीं इतिहास तुमने ।
रची उन कहानियों का ,किया नहीं आभाष तुमने।।
बहुत खोया , पाया बहुत ,बैठ एक पल विचारिये।
थकना—————————————————२
बन्द कर अपनी जुवां को ,कदमों को यदि रोक दोगे।
बलवान होके कायरता की , गर्त में तुम झोंक दोगे ।।
तो क्या पाओगे उपाधियां , शंख बनके हुंकारिये ।।
थकना—————————————————-३
खून बहता है नसों में ,वीर !अपने इस महाबल में ।
क्या करना महसूस प्राण को,भेजो उसे रसातल में ।।
जो भी समझते स्वयं को हो,धो धो के निखारिये ।।
थकना—————————————————-४