तड़प
ये मजबूरियां, ये दूरियां
और हालात की जंजीरों से
बंधे दो तड़पते दिल
क्या करे?
विवश हैं, मजबूर हैं
कभी एक तड़पा था,दूसरे के लिए
आज दोनों तड़प रहे हैं
एक दूजे के लिए, पर
इनका मिलन होगा
जरूर होगा….
जानते हैं कैसे?
ये मजबूरियां,ये दूरियां
कब तक इन्हें रोकेंगी?
और,जरिया बनेगी
इनकी बेपनाह तड़प
:कुमार किशन कीर्ति