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10 Jul 2020 · 1 min read

तज़ुर्बा

जो बात कभी हंसी मे उड़ाई थी
वो आज मुझपे हँसती लौटी है।

वो मुझसे भी बड़ी हो गयी है अब
जिसे कहा था, चुप कर, अभी तू छोटी है

जवाब काफी थे कभी किसी वक़्त
फेहरिस्त सवालों की अब उससे मोटी है

वक़्त बदला है मेरा, तेरा भी कभी बदलेगा
कहकहों के बाद, मुमकिन है , खरी खोटी है

बेफिक्री कहाँ टिक के रहती है
खिंचेगी देखना एक रोज, जो इसकी चोटी है।

तजुर्बे ,कहाँ , कब, किसे रास आये है।
तू सच पकड़ के रख तेरा, मेरी ही बात झूटी है।

1 Like · 2 Comments · 257 Views
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