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13 Nov 2023 · 1 min read

#त्वरित_टिप्पणी

#त्वरित_टिप्पणी
■ प्रसंगवश!
अब “मुक्तिबोध उजाले में” पर उनकी “जन्मभूमि अँधेरे में।” अंधेरा उपेक्षा का, अभाव का और चेतना का। यानि विडम्बना बरक़रार। काहे “अमृतकाल” का ढिंढोरा पीटते हो यार…? हर दिन, हर कहीं बार-बार।।
विद्रूप पर प्रहार के साथ अट्टहास करती “चाँद का मुंह टेढ़ा” जैसी तमाम अटपटी कृतियों के रचयिता, अज्ञेय कृत “तार सप्तक” के अग्रणी कवि और हिंदी साहित्य में प्रयोगवाद के जनक महाकवि गजानन माधव “मुक्तिबोध” को जयंती पर नमन!!
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 108 Views
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