त्रिभंगीलाल
।।१।।
मैं रवि तुम चाँद से
मैं काया तुम प्राण से ..
मैं बसुरी तुम बसुरी की धुन !
मेरा प्रेम त्रिभंगीलाल से ..
।।२।।
पुष्प करती हूँ समर्पित
हे ईश ! मेरी आकांक्षाओं का
पात्र अब खाली पड़ा है …
आत्म करती हूँ मैं अर्पित
हे आर्य ! मुझ में तेरी उपस्थिति का
भान अब होने लगा है ….
पुष्प करती हूँ समर्पित ……
निहारिका सिंह