त्रिपुण्ड सममात्रिक दंडक
त्रिपुण्ड सममात्रिक दंडक
2 नगण, 7 भग्नण
1–उदाहरण —
111 111 211 211 211, 211 211 211 211
चरण कमल स्पर्श करूँ तव शंकर,
हे अवधूत महेश्वर पुष्कर l
अबढर शिव नाम जपूँ दिन रातन,
सागर पार करो शिव शंकर l
अजर अनघ पाप दहे जब शाश्वत,
हो किरपा तब हे शशिशेखर l
हुलस हुलस पूर्ण करूँ तव अर्चन,
नाम अनाम सदा शिव वृषधर ll
सुख दुख सब में भज लें शिव शंकर,
पाप प्रलाप सभी जल प्लावन l
बहुत कठिन सागर की लहरें जब,
बाँह प्रलंब सदा शिव थामन l
बरस बरस सावन सा सरसे मन,
नाम महेश सदा सरसावन l
डगर डगर में शिव चर्चित कारक,
भांग धतूर सदा शिव सावन l
2–उदाहरण —
111 111 211 211 211, 211 211 211 211
कठिन समय हे गणनाथ गणेशन,
नित्य कृपा करना गणनायक l
प्रतिदिन प्रभु पूजन होय निरंतर,
हाथ धरो सिर विघ्नविनाशक l
तुम अकल कला निर्णायक हो प्रभु,
दीनन पीर हरो सुखकारक l
अजर अमर रूप लिए प्रभु भूपति,
काम करो प्रभु सिद्धि विनायक ll
भुवनपति गदाधर धार्मिक सुंदर,
पाप हरो गिरिजासुत नंदन l
गुणन शुभम पुण्य प्रदाय मनोमय,
आसन धार सुनो मम क्रंदन l
विरल विकट मूर्त अरूप तुम्हीं प्रभु,
नित्य करूँ सुर साधन वंदन l
सरस सरल मानस है अति व्याकुल,
आज लगा मम मस्तक चंदन ll
सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
9719260777