त्योहार के बहाने ही सही….
त्योहार के बहाने ही सही….
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त्योहार के बहाने ही सही….
दूर कर लें अपने वे विकार !
मन में छुपे हैं जो कुविचार….
छोड़कर जिसे लाएं सुविचार !!
सालों भर करते हैं सब मेहनत ,
दूर – दराज़ के क्षेत्रों में रहते हैं !
कुछ अनियमितताओं से गुजरते हैं….
कुछ नियमों का भी उल्लघंन करते हैं !!
निज संस्कृति में भी बदलाव लाते हैं ,
गैर सांस्कृतिक बातों को अपनाते हैं !
खुद के कुछ संस्कार भी भूल जाते हैं ,
फिर सांस्कृतिक विकार घर ले आते हैं !!
पर्व-त्योहार जब आते हैं कभी-कभी ,
विशेषतः घर सभी आते हैं तभी-तभी !
शुद्धिकरण का अच्छा अवसर ये होता ,
विचारों में हो सकती हैं शुद्धि तभी ही !!
ये अवसर बहुत ही पावन अवसर होता ,
पर्व-त्योहार का सिलसिला लगा रहता….
नेक भावनाओं से सब इस वक्त लैस होते ,
देवी-देवता जो इस मौसम में हैं पूजे जाते !!
धरा इन दिनों सज-धज कर तैयार होती ,
सबका ध्यान साफ-सफाई पर जो होती !
वैदिक मंत्रों से वातावरण गुॅंजायमान होती ,
हर दिशा में सकारात्मकता ही फैली होती !!
सकारात्मकता का सब मिलकर लाभ उठाएं ,
अंतर्मन के विकारों को एकदम से भूल जाएं !
कुछ अच्छे गुणों को आत्मसात करते जाएं….
त्योहार के बहाने खुद में संस्कार भरते जाएं !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 05 नवंबर, 2021.
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