त्याग तपस्या बलिदानों की, भारत अमिट कहानी
त्याग तपस्या बलिदानों की, भारत अमिट कहानी
प्राचीन मध्य और आधुनिक काल की, ढेरों गवाह निशानी
मेरी माटी के कण कण में, शौर्य और बलिदान वसा है
चप्पे-चप्पे पर वीरों ने,तन मन धन सब वार दिया है
मातृभूमि के लिए रणों में, प्राणों का उतसर्ग किया
हंसते हंसते फंदा चूमा, और लहू का अर्क दिया
जब पुरुष युद्ध में जाते थे, प्राणदान की ठान कर जाते थे
मरते दम लड़ते लड़ते,पीठ नहीं दिखलाते थे
राजपूत रमणियां हंसते हंसते, प्राण समर्पित करतीं थीं
सामूहिक जौहर कर, अपना स्वाभिमान बचातीं थीं
प्राचीन काल की गाथाएं, भरी हैं वेद पुराणों में
मध्य काल भी भरा पड़ा है, मेरा स्वर्णिम इतिहासों में
पूना के चापेकर बंधु बंगाल के खुदीराम , सुभाष चन्द्रबोस,प़फुल्ल चाकी कन्हाई लाल,सत्येन
दिल्ली बम काण्ड में पंजाब के करतार सिंह आदि सूरसेन, काकोरी काण्ड में अशफाक उल्ला खां राजेंद्र नाथ लाहिड़ी
रोशन सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, लाहौर केश में सरदार भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव,ने बलिदान दिया
बाघा जतिन और साथियों ने, गोली खाकर प्राण दिया
चंन्द्र शेखर आजाद ने, अल्फ़्रेड पार्क में स्वयं को होम किया
हजारों वीरों ने अपने प्राणों का उतसर्ग किया
सही यातनाएं वीरों ने,जैलों में उनको डाल दिया
चीन और पाकिस्तान युद्ध में,वीर हजारों शहीद हुए
घायल हुए वीर बलिदानी,मरे तिरंगा थामे हुए
आज भी आतंकवाद में ,शहीद हो रहे वीर बलिदानी
त्याग तपस्या बलिदानों की , मेरी अमिट कहानी
नाम अनाम अनगिनत हैं, शब्दों में नहीं समानी
त्याग तपस्या बलिदानों की मेरी अमिट कहानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी