तौबा ! यह फिल्मी रिश्ते
बहुत कहते और सुनने में आता है ,
फिल्मी कलाकारों का यह वक्तव्य ।
चार दिन के इनके होते है अस्थाई रिश्ते,
और प्रयोग करते एक ही वाक्य ।
ना जाने कितनों से संबंध रहते इनके ,
और कितने टूटते रहते रिश्ते इनके ।
आज यह है कल कोई और था,
और परसों कोई और होगा ।
लिबास की तरह बदलते नाते इनके ।
ज़रा पूछो तो इनसे ,घरेलू रिश्तों की सच्चाई ,
यह तो अपने माता पिता के नहीं।
और माता पिता भी कैसे ,
कह सकते हैं इनको माता पिता भी नहीं।
पारिवारिक मूल्यों की कोई कीमत नहीं ।
परिवार नहीं तो पारिवारिक मूल्य भी क्या ?
फिर तो संस्कारों की तो बात ही मत पूछो ।
ना यह भारतीय ,ना ही पूर्ण विदेशी ।
जात पात ,धर्म और खानदान भी मत पूछो।
बड़ी गड़बड़ है ! सोचने लगोगे ना !
तो दिमाग चकरा जायेगा ।
चरित्र हीनता ,स्वार्थ परता, लालच ,
,अहंकार ,हिंसा ,आदि दुर्भावनाओं
से भरा हुआ हर बाशिंदा यहां मिल जायेगा ।
जीता जागता नर्क है यह फिल्मी दुनिया ,
और इसके बारे में कुछ मत पूछो ।