तो बात होती
दाइम रहेंं उजाले न रात हो तो बात होती
गुलजारे हस्ती न कभी उजड़े तो बात होती
कजा की बख्शी जिंदगी तो जीते हैं सभी
कजा से छीनकर दो पल जियो तो बात होती
शहीदे हस्ती को लेकर ये मौत जाती कहाँ
लहद से उठकर इसका पीछा करो तो बात होती
फिराके गम मे तो ये जिंदगी हुई बादाख्वार
वहाँ की राह में भी गर मैकदे हों तो बात होती
M.T.”Ayen”