तोहफे गम औ ख़ुशी के लिए जा रहे
तोहफे गम औ ख़ुशी के लिए जा रहे
ज़िन्दगी यूँ बसर बस किये जा रहे
ये कहीं दिल में नासूर नहीं जाएँ बन
सोचकर जख्म अपने सिये जा रहे
आज तो इतनी धन की बढ़ी प्यास है
अश्क भी लोग अपने पिये जा रहे
लौट आएंगे वो ,रोज इस आस में
राह में हम जलाते दिये जा रहे
मोड़ हर उम्र का खूबसूरत यहाँ
सोचना मत कभी क्यों जिये जा रहे
अर्चना हो मुकम्मल ग़ज़ल हम तभी
भाव में जोड़ते काफिये जा रहे
डॉ अर्चना गुप्ता