तोरे भरोसे काली
तोरे भरोसे काली इहो जग ठानब,
तू हीं करऽहि निस्तार हे काली।
नहि अछि जननी धोऽन बीत,
नहि अछि टक्का लाख हे काली,
कोऽन विधि पूरत मन के मनोरथ,
कोऽन विधि हैत निस्तार हे काली।
तोरे भरोसे काली———।
नहि अछि जननी हित-परिजन,
नहि अछि लोग समाज हे काली,
के मोरा बनत काज प्रयोजक,
के मोरा बनत भन्डारि हे काली।
तोरे भरोसे काली———-।
वयस बीतल जाइये माँ जगदम्बा,
कि बैसि करै छी विचार हे काली,
अहि छी जननी अहि भंडारी,
अहि बैसि गाउ माँ हे सोहर काली।
तोरे भरोसे काली इहो जग ठानब,
तू हीं करऽहि निस्तार हे काली।
उमा झा🙏💕