तोता और इंसान
इंसान को देखते ही,
पंडित जी का तोता
अनाहक बोला– हे मूर्ख !
यह सुनते ही मनुष्य आबाक है,
उसके प्रतिक्रिया की स्थिति गौण है,
परन्तु मन में वाणी की बड़बड़ाहट है,
क्योंकि वह एक इंसान है ।
पिंजरे में बंद,
तोता ने इंसान को देखते ही,
फिर बोला– हे अज्ञानी !,
यह सुनकर इंसान स्तब्ध है,
अनावश्यक सिरदर्द में वह डूब जाता हैं,
परन्तु खुद को रोककर अपने रास्ते पर चलता है,
क्योंकि वह एक इंसान है ।
दूसरे का दाना–पानी खाकर जिंदा तोता,
इंसान को देखते ही,
चिल्लाया– हे गुंगे !,
यह सुनकर इंसान का पारा गर्म है,
परन्तु धैर्य के बल पर वह शांत है,
अपने मिशन के प्रति समर्पित है,
क्योंकि वह एक इंसान है ।
एक तोता जो दूसरो की भाषा बोलता है,
इंसान को देखते ही,
मुस्कुराते हुए बोला –हे नामर्द !,
यह सुनकर इंसान निराश है,
मुट्ठी भर लोगों के कुकर्मों पर उन्हें चिंता है,
परन्तु बहुसंख्य मुँह खोलेगें वह आशावादी है,
क्योंकि वह एक इंसान है ।
तोते का उन्माद बढा,
शिकायत पंडित जी से हुई.
रामधुलाई पर वह चुप है,
लेकिन मनुष्य उसे मुड़कर देखता है,
तभी हंसता हुआ तोता बोला –
बेटा ! अब तुम्हें समझ आ गया होगा,
मैं तोता हूं और तुम इंसान हो ।
पंडित जी का तोता,
वास्तव में, मालिक से कम नहीं है,
शिकायतों पर भी महान है,
उल्टा चोर सिपाही को डाँटे,
पिटाई पर भी खुद को सर्वश्रेष्ठ मानता हैं,
क्योंकि वह पंडित जी का तोता है,
इसिलिए वह उसकी भाषा बोलता है ।
#दिनेश_यादव
काठमाण्डू (नेपाल)