तोड़ो मत
मैं
पौध हूँ
नन्हा सा
अभी बढ़ा नहीं हूँ
विकसित नहीं हुआ है
तन मेरा |
मुझे
तोड़ो नहीं
उन हाथों से ही
जिन हाथों से
सहेजा है कोई |
अभी
मुझे बढ़ना है
खिलना है, लहलहाना है
फल देना है…
अपने पूर्वजों सा |
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राहुल कुमार विद्यार्थी
भागलपुर(बिहार)