” तेल और बाती”
जग प्रसिद्ध दीपक की नहीं, यह है
तेल और बाती की दर्द भरी कहानी
अस्तित्व जिसका सदियों से गुमशुदा
सब्र से सुनो आज तुम मेरी जुबानी
बचपन से सुनते आए कहावत
ना ईर्ष्या में स्वयं को जलाओ
प्रेरणा लो जगमगाते दीपक से
इसी ज्यों जलना सीख जाओ
जलना शब्द के दो बनाए अर्थ
दीपक और ईर्ष्या की हुई तुलना
ईर्ष्या को मिली संज्ञा नकारात्मक
सकारात्मक बना दीपक का जलना
कोरोना में गांव पहुंची थी मैं भी
बिजली कटी तो अंधियारी रात हुई
जलता दीपक देखा मैंने तभी
तेल और बाती से भी मुलाकात हुई
मायूस नजरों से देखा मेरी तरफ
फर्श पर टपक टपक शुरू हुई
नानी कहे दीपक का तेल झरे
लेकिन मुझे दिखे बात्ती रोती हुई
दास्तान दर्द की मैं करूं महसूस
नानी री दीपक की रोशनी क्यों कही ?
माटी का बना दीपक पहले ज्यों पड़ा
तेल और बाती की तो उम्र घिस रही
दीपक से जब होगा तेल खत्म
बाती भी तो स्वत बुझ जाए
दीपक की कर रहे क्यों जय जयकार
रोशनी तो तेल और बाती से ही जगमगाए
पुरातन काल से दफन हुआ जिनका नाम
मीनू आज तुम्हें जख्मी कहानी बताए
नहीं फैलता प्रकाश दीपक के जलने से
जगमग खातिर तेल बाती जीवन गवाएं ।
डॉ मीनू पूनिया
Dr.Meenu Poonia