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7 Jun 2023 · 1 min read

कविता : तेरे ही सपने

तेरे ही सपने आते हैं।
जो मंज़िल को दिखलाते हैं।
पर तू ही मेरी मंज़िल है।
कुर्बान तुझी पर तो दिल है।।

जिसदिन भी तू मिल जायेगी।
चमक चेहरे पर तो आयेगी।।
हृदय ओज से भर जायेगा।
गीत ख़ुशी के मन गायेगा।।

यत्न भरोसा लिये चला हूँ।
संकट से भी नहीं टला हूँ।।
कर्म किया है फल पाऊँगा।
क़िस्मत से भी लड़ जाऊँगा।।

हार मुझे स्वीकार नहीं है।
झूठा मेरा प्यार नहीं है।।
जोश भरें तेरे ही सपने।
इनको कर लूँ वश में अपने।।

संग तुम्हारा होगा मनहर।
चाहूँगा तुमको मैं जी भर।।
चाँद-चाँदनी बिना अधूरा।
सूर्य-रोशनी से है पूरा।।

तेरे ही सपने मुझे जगाएँ।
तेरे ही सपने मुझे सुलाएँ।।
तेरे ही सपने मुझे हँसाते।
तेरे ही सपने राह दिखाते।।

#आर.एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 40 Views
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