“तेरे हाथ का भोजन”
“तेरे हाथ का भोजन”
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तेरे हाथ का भोजन बड़ा ही स्वादिष्ट होता है।
जब भी खाता हूॅं मन अति आनंदित होता है।।
इन भोजन की खुशबू से घर सुरभित होता है ।
मन को आह्लादित करता पल अविस्मृत होता है।।
तेरे हाथों के जादू से कुछ अनपेक्षित होता है।
तेरे सरोवर की नीर से हर पौध पुष्पित होता है।।
तेरे करिश्माई अंदाज़ से घर जगमग होता है।
भोजन का स्वाद पाकर मन गदगद होता है।।
तेरी मासूम खूबसूरत सी अदा बहुत ही निराली है।
तेरे स्पर्श से पका भोजन लाती सदा खुशहाली है।।
तेरे हाथों के व्यंजन खाकर अतिथि झूम उठते हैं ।
तेरी तारीफें करते-करते मेरी जुबां तनिक न थकते हैं।।
जब – जब भोजन करता हूॅं, चकित रह जाता हूॅं ।
तेरी यादों में खोकर, सदा खुद को भूल जाता हूॅं ।।
तेरे हाथ के भोजन पोषक तत्वों से भरपूर होते !
जो भी ग्रहण करते वे आरोग्यता प्राप्त कर लेते !!
पौष्टिक भोजन के सेवन से सभी सेहतमंद हो जाते !
ऊपर से तेरे हाथ का स्पर्श ग़ज़ब सा अहसास दिलाते !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 22-07-2021.
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