तेरे साथ जीना चाहता हूं
तेरे साथ मैं बहुत जीना चाहता हूं।
हिस्से का ज़हर तेरा पीना चाहता हूं।।
मुझे भी खबर नहीं ये अभी तक।
तुझे मेरी जां मैं कितना चाहता हूं।।
जो खो गया था कभी प्यार अ पना ।
उसे बस उसे ही आज पाना चाहता हूं।।
धरती और अम्बर की जरूरत नहीं है ।
मै तो बस दिल पै तेरे छाना चाहता हूं।।
जो समझे थे अनबन बहुत है हम में ।
उन्हें थोड़ा सा अब जलाना चाहता हूं।।
हूं मै जिस्म तेरा तुम हो जान मेरी ।
दुनिया को मै ये बताना चाहता हूं।।
बहुत प्यासे प्यासे जो लब है तुम्हारे।
बन बादल मै उनपर बरसना चाहता हूं।।
तुम ही हो पहली और आखिरी तमन्ना।
तुम्हें बस तुम्हें ही मै पाना चाहता हूं।।
कह नहीं पाया जो वर्षों से तुमसे ।
बात वही बस आज कहना चाहता हूं।।
तू सच में सच है मै हूं तेरी हकीकत।
दुनिया को आज ये मैं बताना चाहता हूं।।
मै सागर तेरा तुम हो मेरी कविता।
तुम्हें और अभी में पढ़ना चाहता हूं।।
लड़ना मेरी फितरत तो नहीं पर जाना।
तेरे लिए एक बार मैं लड़ना में चाहता हूं।।
25/04/2020