**** तेरे शहर में ****
हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफ़िर की तरह
मुन्तजिर है मुहब्बत-दिल आशिक की तरह
सज़दा करले दिल से अब दिल-ए-क़ातिल
तूं माने ना माने है मुहब्बत-घायल की तरह
अपना माना है तुमने दिल से अगर
अपना माना है मन से मनन अगर
जाना जा ना अब हो ना अनजाना
अब आना ना हो आना जो अगर ।।
?मधुप बैरागी