तेरे वज़ूद में शामिल…
घुटन,
शिकस्त,
तन्हाई का दौर
जब तुम्हें सताएगा…
हर कदम पर
ज़ोरों से पकड़ा
मेरा हाथ याद आएगा…
यह न सोचना
कभी कि मुकद्दर में
कितने गम है…
हर मुश्किल में
साथ हैं
ये क्या कम है…
ना देखना
खुद को
औरों के आईने में…
तेरे वज़ूद में
शामिल
तू मेरा अक्स पाएगा…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’