तेरे मुस्कुराने से
गूंज उठी है हर दिशा तेरे मुस्कुराने से
खिल गई हर फ़िज़ा तेरे क़रीब आ जाने से
जाने कौनसा दिन कौनसा रंग हो जिंदगी का
जो तू चला आया यहां
जिन्दगी रंगीन हो गई तेरे यूँ आने से
रुक जाए काश ये घड़ियां
ठहर जाए ये पल भी कुछ देर तक
वक्त भी बदल गया जैसे तेरे कदम
रुक जाने से
पा ली जैसे जन्नत कोई मैंने किसी बहाने से
मुस्कुरा कर चल दिया संग जैसे छुपकर ज़माने से।।
“कविता चौहान”