तेरे बिना
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तेरे बिना है जीना कहाँ
जीना और है मरना यहाँ
चलती सांसे थम जाएंगी
तेरे बिना हम जाएं कहाँ
प्रेम की बरसातें हो रही
निज दामन बचाएँ कहाँ
बाहर तो है तेज आँधियाँ
आँचल हम फैलाएँ कहाँ
हवा का रूख पहचानो
वर्ना भटकोगे यहाँ वहाँ
मनसीरत जाएगया कहाँ
दिखता नहीँ जाऊँ कहाँ
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)