तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब अच्छी नहीं लगती;
तेरे बिना ये बंदगी अब अच्छी नहीं लगती,
कब आओगे वापस लौट कर बतादो मुझे;
तेरे बिना लिखी शायरी भी अब अच्छी नहीं लगती…
तेरे बग़ैर ये ज़िंदगी अब अच्छी नहीं लगती;
तेरे बिना ये बंदगी अब अच्छी नहीं लगती,
कब आओगे वापस लौट कर बतादो मुझे;
तेरे बिना लिखी शायरी भी अब अच्छी नहीं लगती…