तेरे नाम हर कहानी की है।
अश्कों ने भी खूब मेहरबानी की है,
जब भी गिरे,
दिल के हसरतों को पानी पानी की है,
है आज भी ख्वाबों में उसका ही असर,
नींद खुलते ही मौसिकी में उसकी जवानी की है।
पता नहीं कहां तक चलेगा ऐसे ही सफर,
जब-जब सोचा खुद को बस परेशानी दी है,
हां मालूम है उस पर बीती है मुझसे ज्यादा,
कम से कम दर्द ही सही मैंने कुछ तो निशानी दी है।
तू अपना बता मुझको काफिर कहने वाले,
क्या तूने मेरे किसी दर्द में सानी की है,
बद-हवासी में रहता हूं जब से हुआ हूं जुदा,
होश में लाने को तूने कोई इंतजामी की है।
मत भूल तेरे सजदे में इस तरह हो गया हूं फना,
कि कलम तो मेरी है मगर तेरे नाम हर कहानी की है।।
गुरु……