*तेरे जहाज का मस्तूल क्या है *
“मैं हूँ तेरा दीदार”कहने वाले
तेरे जहाज का मस्तूल क्या है ।
गरेवां दबा के और का बोले
बता जमाने का उसूल क्या है ।।
किसी किताब में नहीं लिखा है
इंसानियत का दिल दुखा दो
हर बक़्त हिसाब में मसगूल हैं
पूंछते हैं फिर फिजूल क्या है ।।
सब के सब वश में है भैया
रास्ते भी नजर नहीं आते
किसी की नजर नहीं उठती
की कह दें ये रसूल क्या है ।।
दुनिया के बागों में टहलते
घूम रहा है वो इधर उधर
नाक पे हाथ रखके पूंछता है
भाई गुलाब का फूल क्या है ।।
रहजनों से कह दिया राहगीर
ना निकल जाए इधर से
कांटे बिछा दिए सब तरफ
फिर कहा कि बबूल क्या है ।।
कल रात लूट ली आबरूह
फकीरों के आशियाने खंगाले
सुबह नहा धोके पाक हुए
शाम को बोले भूल क्या है।।
दोस्त को बुलाया “साहब”
पड़ोसी की नजर ठीक नहीं
लो सुलगा दी आग दिलों में
पूंछते हैं बताना तूल क्या है।।