तेरे ख्यालो की नगरी
तेरे ख्यालों की नगरी ने ही तो
आबाद किया है मुझे
(दिल के वीराने ने खूब कोशिश की
बर्बाद करने की )
वरना क्या था इस दिल के वीराने मे
कभी खुशी आई भी
तो दरवाजा खटखटा कर
मुझे परेशान करके निकल जाती
ठहरी ही कहां कभी कुछ पहर
सच कहू तो तेरे आने से
जैसे बाहार आ गई
मौसम ने भी ली अंगड़ाई हो
तेरे संग सब अच्छा लगता है।
तेरा साथ ही जब होता है ।।