तेरे कन्धों की तलाश थी
मैंने तुझको ढूंढा हर जगह क्योंकि
मुझे तेरी आहटों की तलाश थी ,
मैंने हर ज़र्रे को बड़े गौर से देखा
मुझे तेरी सूरत की तलाश थी ,
मैंने हर खिलते हुए फूल को बड़ी शिद्दत से देखा
मुझे तेरी मुस्कराहट की तलाश थी ,
मैंने अपनी सिसकियों को रोकना चाहा
पर इन्हें तेरे कन्धों की तलाश थी |
द्वारा – नेहा ‘आज़ाद’