तेरे कदमो में मेरा सर झुके
तेरे कदमो में मेरा सर झुके
तो मुझे ख़ुशी होगी
मेरे हाथ तुझे प्रणाम करे
तो यही बंदगी होगी
जमाना देगा भी तो क्या देगा
जो तून देगा मेरे मालिक
उसी से तो मेरे सुने घर
में हर दम रौशनी होगी
तेरे नाम के साथ जुड़े मेरा नाम
यही दुआ करता हूँ सुबह और शाम
अपना आशीर्वाद बनाये रखना मेरे श्याम
बस यह जुबान रटती रहे तेरा हरदम नाम !!
खुशियन जहाँ कि तेरे दर पर हैं
दुनिया कि सारी दौलत तेरे दर पर है
झोलियन खाली लेकर आते हैं सब यहाँ
कौन है जिस को न मिली हों खुशियाँ यहाँ से !!
सब से बड़ा पर्वतदिगार है तून मेरे मालिक
पता नहीं इंसान क्यूं बन बैठा है मालिक
भूल गया है वो , यह तो सब झूठ है
केवल मौत के बाद तुझ से मिलना ही तो
सच है, है न मेरे मालिक @@
अजीत कुमार तलवार
मेरठ