Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2018 · 1 min read

तेरे कदमों की आहट से दिलों के तार बजते हैं

बह्र:-हज़ज मुसम्मन सालिम
अरकान:- मुफ़ाईलुनx4

तेरे कदमों की आहट से दिलों के तार बजते हैं।
बजे पाज़ेब जब तेरी दिलों में साज़ सजते हैं।।

जो आहट हो लगे मुझको कि आई हो मेरे दर पे।
खनकती चूड़ियों से अब दिले गुलशन महकते हैं।।

ये काला नग है गालों पर जो चंदा सा दमकता है।
मेरा दिल है मेरी ज़ानाँ जिसे सब तिल समझते हैं।।

खुले गेसू घटा छाए मयूरा झूम कर नाचे।
भ्रम महताब हो जाये कुमुद भी जाग उठते हैं।।

गुलाबी लव कमाँ भौंहें दमक माथे पे टीके की।
फ़िज़ा रोशन हुई है ‘कल्प’ हर सू फूल खिलते हैं।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’

275 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3329.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
करवाचौथ
करवाचौथ
Mukesh Kumar Sonkar
सावन के पर्व-त्योहार
सावन के पर्व-त्योहार
लक्ष्मी सिंह
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
आजा मेरे दिल तू , मत जा मुझको छोड़कर
gurudeenverma198
गम खास होते हैं
गम खास होते हैं
ruby kumari
#अभी_अभी
#अभी_अभी
*Author प्रणय प्रभात*
*जिंदगी का क्या भरोसा, कौन-सा कब मोड़ ले 【हिंदी गजल/गीतिका】*
*जिंदगी का क्या भरोसा, कौन-सा कब मोड़ ले 【हिंदी गजल/गीतिका】*
Ravi Prakash
* नव जागरण *
* नव जागरण *
surenderpal vaidya
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
Vindhya Prakash Mishra
बिहार में दलित–पिछड़ा के बीच विरोध-अंतर्विरोध की एक पड़ताल : DR. MUSAFIR BAITHA
बिहार में दलित–पिछड़ा के बीच विरोध-अंतर्विरोध की एक पड़ताल : DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
रुपया-पैसा~
रुपया-पैसा~
दिनेश एल० "जैहिंद"
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
अपने तो अपने होते हैं
अपने तो अपने होते हैं
Harminder Kaur
मत रो लाल
मत रो लाल
Shekhar Chandra Mitra
इश्क़ ला हासिल का हासिल कुछ नहीं
इश्क़ ला हासिल का हासिल कुछ नहीं
shabina. Naaz
"तलाश उसकी रखो"
Dr. Kishan tandon kranti
अहसास तेरे....
अहसास तेरे....
Santosh Soni
अपने और पराए
अपने और पराए
Sushil chauhan
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
Writer_ermkumar
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
VEDANTA PATEL
चाहता है जो
चाहता है जो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुद्दत से संभाला था
मुद्दत से संभाला था
Surinder blackpen
जो चाहो यदि वह मिले,
जो चाहो यदि वह मिले,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
चार दिनों की जिंदगी है, यूँ हीं गुज़र के रह जानी है...!!
चार दिनों की जिंदगी है, यूँ हीं गुज़र के रह जानी है...!!
Ravi Betulwala
मिल जाते हैं राहों में वे अकसर ही आजकल।
मिल जाते हैं राहों में वे अकसर ही आजकल।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
Kanchan Khanna
हिन्दी
हिन्दी
Bodhisatva kastooriya
प्रकृति का बलात्कार
प्रकृति का बलात्कार
Atul "Krishn"
रंग तो प्रेम की परिभाषा है
रंग तो प्रेम की परिभाषा है
Dr. Man Mohan Krishna
दाम रिश्तों के
दाम रिश्तों के
Dr fauzia Naseem shad
Loading...