तेरे इश्क में हुआ हूँ मै, इस कदर पागल –आर के रस्तोगी
तेरे इश्क में हुआ हूँ मै, इस कदर पागल |
जैसे कोई भटक रहा हो आसमां में बादल ||
इश्क ऐसी चीज है,जो छिपाये नहीं छिपता |
छिपा लो आँखों में मुझको बनाकर काजल ||
भले ही तेरा दीदार न होता हो मुझको |
पर तेरा आभास हो रहा है,तेरी सुनकर पायल ||
नींद भी नहीं आती,अब ख़्वाब भी नहीं आते |
सुलाओ अपनी बाहों में,अपना उढा कर आँचल ||
न छिडको नमक इन दुखते जख्मो पर |
हम तो पहले ही घायल है,और न करो घायल ||
है मेरा आखरी वख्त,जा रहा है मेरा जनाजा |
आखरी इल्तजा रस्तोगी की,उढा तो अपना आँचल ||
आर के रस्तोगी
मो 9971006425