तेरे आगोश ने दिलवर
तेरे आगोश ने दिलवर मुझे जीना सिखाया है।
मैं बेजां था मैं वीरां था तूने ही जिलाया है।
मतीरे -इश्क में तेरे मैं रुसवा था महब मैं था।
तूने ही करम करके मुझे मुझसे मिलाया है।
तारीके- शबे- मजहूल सी थी गत हुई मेरी।
करके महजूफ तमाजत को, सिकालत को मिटाया है।
सरा से उस फलक तक है जो ये जिक्र उल्फत का।
तेरी उमदत किरामत को, मैंने हर सम्त पाया है।
मेरी दरकार के देखो ये चलते सिलसिले यूँ ही।
आब- उल -उल्फते- दिल को बोशों से पिलाया है।
तुझे मैं उम्र दे ‘इषुप्रिय’ बिता दूँ जिंदगी अपनी।
मेरे हमदम मेरे मेहरम तुझे ही खुद में पाया है।
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